
स्नेहा को जब भी कुछ चटपटा खाने की इच्छा होती है वह हास्टल से बेर सराय की ओर निकल पड़ती है।निकलते समय वह चाहती है कि कोई
उसके साथ चले।कोई मिला तो ठीक नहीं तो ऐसे भी चलेगा। अकेले ही कुच कर देती है बेरसराय की तरफ।स्नेहा को बेरसराय के गोलगप्पे बहुत पसंद है।बल्कि वह तो शर्त लगा बैठती है कि देखें कौन कितना खाता है।
यह सिर्फ एक स्नेहा की कहानी नहीं है। हास्टल में ऐसी कई स्नेहा मौजूद है । हास्टल में रहने वाली लड़कियों के लिए बेरसराय का यि छोटा सा बाजार किसी वरदान से कम नहीं ।
चाट खाते हुए हंसकर पूजा कहती है मुझे तो यह जगह बहुत ही पसंद है । मैं तो यहं सप्ताह में कई दिन आती हूं । मुझे यहां भी हर चीज पसंद है
खूशबू को यहां की किताबों से अत्यंत लगाव है ।वह हर सप्ताह वीकएंड पर यहां आती है और से कुछ प्रतियोगी किताबें ले जाती है । पूछने पर खूशबू बताती है कि एक तो यह बाजार हास्टल के काफी नजदीक है दूसरे यहां पर सभी तरह की उपयोगी पुस्तकें उपलब्ध है ।
बेरसराय के बाजार से सटे ही एक किराए के रूम में रह रहे हिंदी पत्रकारिता के छात्र संतोष सिंह ने बताया कि शाम को यहां का नजारा अदभूत होता है। विभिन्न शिक्षण संस्थानों के छात्रों का जमावड़ा सा होता है । कई तरह के विचारों और संस्कृतियों को देखने और समझने का मौका मिलता है । सचमूच में यह अपने आप में अदभूत अनुभव है ।
मुग्धा एटीम के कारम बेरसराय बाजार की प्रशंसा करती है, वह कहती है कि मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि यहां पर एक ही साथ तीन-तीन एटीएम लगे पड़े हैं पहले मुझे जेएनयु में घंटों लाइन में लगना पड़ता था अब तो बहुत अच्छा है । आराम से पैसे भी निकाल लेती हूं और जब पास में पैसे हों तो कुछ खरीदारी भी हो जाती है
आसीमा को बेरसराय बाजार से कुछ शिकायत है । पूछने पर वह बताती है कि बाजार में पार्किंग की कोई सुविधा नहीं है । चारों तरफ गंदगी का ढेर लगा है डस्टबिनों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है ।
बेरसराय का यह बाजार स्वंय में संपूर्ण है साथ ही करीने से सजी दुकानें बाजार के आकर्षण में ईजीफा करती है
सच इस बाजार में कुछ तो खास है..........................................

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