अयोध्या विवाद में फैसला आ चूका है...मेरे विचार से कोर्ट ने अपने तरफ से बहुत सोच समझ कर निर्णय दिया है फिर भी अगर आपति कोई है तो सबसे बड़े न्यायलय का दरवाजा अभी खुला है....मसला यह नही है...मसला तो इससे अलग और कहीं इससे भयावह है....
फैसले से पहले जिस तरह के हालत बनाये जा रहे थे उससे पूरे यूपी समेत देश भर में आग लगनी थी....कम से कम यूपी तो जलना ही था....हिन्दू मुस्लिम के बीच खटास तो पैदा ही होनी थी....अरे मियां ऐसा क्या हुआ, कुछ नही हुआ ...एक पथर तक नही चला ..बस यही बात नागवार गुजरी है उन नामर्दों को जो एक बार फिर आग लगाना चाहते थे ईस देश में...धू-धू कर जलते देखना चाहते थे इस देश को....९२ में ये इसी की आड़ में अपनी राजनीती चमका चुके हैं,,,आज राजनीती अवसान पे देख फिर से आग लगाना चाहते है..मुस्लिम भाइयों को बरगलाया जा रहा है की उनके साथ धोखा हुआ है,,,अन्याय हुआ है...उन्हें उनका हक मिलना चाहिए था...पर उनकी बात कोई नही सुन रहा तो उनके सिने पे सांप लोट रहा है...
ये नामर्द भूल गये हैं की ये ९२ नही है ...भारत २०१० के आगे जा रहा है....माना की ९२ में हम तथाकथित धर्म के ठेकेदारों की बहकावे में आ गये थे ,,माना की तब हमने वो किया था जो गलत था , हर लिहाज से....माना की तब हम मुर्ख बन गये थे...हमे अपने गलती का एहसास है और पछतावा भी..पर हम इतने बड़े मुर्ख भी नही है की एक ही गलती बार बार करें....
आज हम ऐसे जगह खड़े है जहाँ से हम दुनिया से टकराने का सपना देखते हैं....हमे नही अपनों से टकराना ....हमे तरक्की चाहिए,,जमीन और आस्था का बटवारा नही.....जमीन फांककर इस पेट की भूक नही मिटनी है अन्न चाहिए...आस्था भी भूखे पेट नही होती...धर्म के नाम पर हमे बाँटकर अपनी रोटियां सीकने वालों गुजारिश है की उस रोटी को अब कचा ही खाना सिख लो क्यूंकि अब तुम्हारी उस रोटी को पकाने के लिए हम आंच नही बनने वाले......t
बहुत बड़े हमारे हितैषी बनते हो न तो दो हमे रोजगार,,रोटी,कपड़ा,मकान..पानी,बिजली,,स्वाश्थ्य,,,,क्यूँ चुप क्यों हो इसलिए की अब हम लड़ नही रहे या इसलिए की हमने अब अपने हक की बात करनी शुरू कर दी है....दो हमे भी सत्ता में हिस्सेदारी...क्या दे पाओगे,,,अरे तुम क्या दोगे हम खुद वहां भी अपने लिए रास्ता बना लेंगे तुम अब बस तमाशा देखो..देखो हमारी तरक्की,,हमरा मिलन...एक एक करके तुम सभी को हम किनारे लगायेंगे...नया नेतृत्व लायेंगे....देश की रफ्तार और हमारे विकास से डर लग रहा है तुहे जो तुम हमारी धारा मोड़ना चाहते हो चेत जाओ...शायद तुम्हे जनता की हुंकार का अंदाजा नही......पर जल्द हो जायेगा ..समेट लो अपनी थोथी मानसिकता...वरना पछताना पड़ेगा,,,,साथ बने रहना चाहते हो तो बात करो अमन की,तरक्की की,भाईचारे की,,,न की बटवारे की....
और अंत में....
खाली करो सिंघासन की अब जनता आती है,,,,,
2 comments:
mai tmari baat se sehmat hu.likhte raho.....
लक्ष्मी शंकर मिश्र जी, खूब लिखा है आपने! अदालत ने सही फैसला देकर सच को भी ज़माने के सामने रख दिया है और मुल्क में कुछ गड़बड़ न हो इसका भी ख्याल रखा है ! इसके बावजूद भी मुलायम सिंह, लालू यादव, दिग्विजय सिंह जैसे दो कौड़ी के लोगों ने अपनी धूर्तता का नमूना पेश किया लेकिन मुस्लिम उलेमाओं, मौलवियों ने उन्हें उनकी औकात दिखा दी है !! शिया समुदाय ने भी देश की विकास की रफ़्तार न रुके इसलिए मंदिर निर्माण के लिए 15 लाख रुपये और पूरा समर्थन देने का ऐलान किया है !! अब इस विषय को लेकर देश में कुछ भी होता है तो उसके लिए पूरी तरह से, सुन्नी वक्फ बोर्ड, हिन्दू महासभा, भारत के टुच्चे नेता और इलेक्ट्रोनिक मीडिया जिम्मेदार होगा ! इलेक्ट्रोनिक मीडिया की भूमिका इन नेताओं से भी ज्यादा होगी !
बढ़िया लिखा है आपने !!
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