
जरा देखिये तो इक बार पलटकर,,
इस खुबसूरत चेहरे को अपना समझकर।
लाख दुश्मनी बोये जमाने ने हमारे बीच
मै फिर भी चली आई आपको अपना समझकर ।
मेरी साफगोई तब मुझे मेरी कमी सी लगती थी
आज उसे ही ओढ़ लिया है गहना समझकर।
जानती हूँ बहुत देर कर दी समझने में आपको
पर आपने भी तो मुझे छोड़ दिया था अधुरा सपना समझकर
आपको मुझपर झुटा ही सही पल भर के लिए प्यार लुटाने की कसम
गिले शिकवे भूल अपना लीजिये मुझे मेरा सजना समझकर

No comments:
Post a Comment