Thursday, November 11, 2010

काश न्याय की मन्दिर का दिया सबके लिए समान जलता ...


आज फिर देश के सबसे बड़े न्यायालय से एक ऐसा फैसला आया है जिसे कम से कम मै तो नही ही पचा पा रहा..जाने क्यूँ और कैसे १४ साल की मासूम को मौत के दरवाजे तक पंहुचने वाला ६ महीने की सजा कट कर ही बाहर आ गया..सजा भी तो मिली थी सिर्फ १८ महीने...वाह रे अदालत और वाह रे तेरा न्याय...
मुझे वह दिन नही भूलता जब पूरी मीडिया के सामने हंसते हुए इस ने कहा था आप लोग चाहें मुझ पर जो भी कमेन्ट करें,,मेरी हंसी ऐसे ही बरकरार रहेगी...दरअसल अब उस हंसी का राज समझ आता है...........क्यूँ न कोई आरोपी या दोषी हंसे..यूँ न मजाक उड़ाए..जब फैसले ऐसे ही आने है तो चेहरे पर मुस्कान रहनी ही चाहिए...और माफ़ कीजियेगा अगर कल कोई देश का दूसरा ऐसे ओहदे वाला इन्सान किसी भोली भली लडकी को शिकार बनाएगा तो......क्यूंकि वह भी हंसेगा और ६ महीने में छुट जायेगा.........क्यूंकि वो जानते है की ऐसे देश में सत्ता और राजनीती का खेल कैसा होता है..........वो मजा लेगा ...किसी भी मासूम को धर दबोचेगा...क्यूंकि कानून को तो वो अपनी मुठी में समझता है............तब क्या फैसला सुनाएगी ये न्याय की मन्दिर.............
सिर्फ मामला यह अकेला नही है.....अभी गैंग रेप करने वालों को एक अदालत सिर्फ ४ साल की सजा सुनाई है क्यूंकि उनका सम्बन्ध रसूख वालों से है,,,तो बात saaf है ..मेरी पंहुच दूर तक है तो मै कुछ भी करूं मेरा बाल भी बाका नही होगा..........फिर तो सही है ...हर अत्याचारी हंसेगा एउर अत्याचार करेगा,,,,,,,जो झेलेगा वह न्याय की मन्दिर जायेगा,,,रसूख वाला अपना जुगाड़ भिदायेगा और न्याय की मन्दिर में एक और कमजोर हर जायेगा.................
तो क्या अब कोई रास्ता नही बचा...ऐसा नही है तमाम रस्ते हैं...पर उसके लिए न्याय की मन्दिर में बैठे पुजारियों...सत्ता की बागडोर सम्हाले समाज के नुमैन्दों और सबसे बढकर हर एक इन्सान को खुद के अस्तर पर इमानदार होना होगा.....इस तरह के अत्याचारियों को कठोर से कठोर सजा देनी होगी...इन्हें कतई बख्सा जाना जुर्म को बढने का न्योता देना है....मेरा न्याय की मन्दिर से विश्वास अभी उठानही है...वैसे भी जीत सच्चाई की ही होनी है....एक दिन तो अत्यचरिओन का विनाश होकर रहेगा ..........

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