Monday, November 1, 2010

इन आँखों को खुशिया दे ..मौला ..ये प्यार के काबिल हैं




एहसासों का समन्दर सुख सा गया है
उसी आँखों में अब सिर्फ वीरानिया हैं,,
एक टक देखता हूँ उन ख़ूबसूरत आँखों को,,
सहसा यकी नही होता की ये वही आँखे हैं॥
कितना प्यार बस्ता था इसमें,,
कितनी गहराई थी इसमें ,,
एक बार जो डूबता
चाह कर भी निकल नही पाता
वो इशारे ही इशारे में हर बात कह जाने की इसकी आदत,
काजल की लकीरों में कहानियों को समेटे पलकें
मोहबत की दास्ताँ प्रकट करती वो गिरती झुकती पलकें
मदिरा सा नशा देने वाली वो सुरमयी नशीली सम्वेदनाएँ
कभी कभी मोतियों को समेटे आंसुओं का खजाना,,
सच कितना कुछ था इन आँखों में
सहसा यकी नही होता है
इशारे बचे,,न सम्वेदनाएँ बची
न काजल है उसमे,,न नशा है
हाँ आँखे जिन्दा जरुर है ,,पर मरने से भी बदतर॥
नही या रब इन आँखों को बरकत दे,,
इनसे ही ये दुनिया है,,
फिर इन ख़ूबसूरत आँखों में उदासी
बिलकुल नही फब्ती
देना है तो मेरी आँखों को उदासी दे
वैसे भी वो अक्सर कहती थी, ''तेरी आँखे मुझसे ख़ूबसूरत नही,''
और ये सच था
भगवान क्या तुम्हे भी वो दिन याद नही
जब झूट में अक्सर वो अपनी आँखों में कुछ पड़ने का बहाना कर
मुझसे घंटों अपनी आँखों में फुकने को कहती,,
मै भी प्यार से उसकी आँखों में अपने प्यार को भरता रहता
घंटो बाद वो कैसे चिढाते भागती थी ,अरे कुछ नही पड़ा मै तो मस्ती कर रही थी
भगवान क्या आप भी भूल गये
जब उदासी में उसकी आँखों में आये आंसू,,
और उसके बाद उसकी आँखे
कैसे भूल सकता हूँ
कितनी लाल हो जाती थीं
सुर्ख गुलाब की तरह ,,पर कष्टकारी
नही न तब मुझसे सहन होता था न अब
माना मुझसे बिछड़ने के बाद उस कुत्ते ने उसे बहुत दर्द दिया है
माना की उस प्यारी मासूम को मेरे पीछे बहुत कष्ट सहने पड़े हैं॥
पर वो आँखे इस चीज की काबिल नही हैं,,
वो प्यार की काबिल है,,
अरे वो ख्वाब के काबिल है
उन झील सी आँखों की झमझम आवाज लौटा दो...
उन आँखों की समुन्द्र सी गहराई लौटा दो
लौटा दो उसके काजल
लौटा तो उनमे नशा
हाँ -हाँ वो सिर्फ और सिर्फ प्यार के काबिल हैं
और हाँ उन आँखों को बता दो ,,
प्रेमी आ गया है,,
फिर उन्हें प्यार करने...
शायद सुनते ही उन aankhon में प्यार उम्द पड़े
याद रखना यही मेरे प्यार की जीत होगी................................................




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