३० को शाम ३.३० पर अयोध्या फैसला आना तय है ,,,,यूपी में इसकी आंच को पहले से ही हवा दी जा रही थी अब उसे तेज कर दिया गया है,,,राजधानी में हूँ सो पूरी यूपी का नस समझ रहा हूँ ,,,ज्यादातर दफ्तरों में लोग छुटियों पर जाना शुरू कर दिए हैं,,जहाँ मजबूरी है जैसे हमारे यहाँ वहां बच बचाव के इंतजाम किये जा रहे हैं,,,आज ही एक साथी मिले ...बैग से कई सामान दिखाने लगे...आपको शायद यह सच न लगे पर वो हिन्दू हैं और बैग में मुस्लिमो के कपड़े यानि एक बड़ा सफेद कुरता,एक टोपी जो वे नमाज के समय पहनते हैं और कुछ कुरान और ऐसे ही सामान अपने साथ रख कर घूम रहे हैं....कहते हैं भैया मै रिस्क नही ले सकता,,,,शायद आप सभी को मेरा हरे कृष्ण ,ॐ वाला कुरता याद होगा जो मै कम और अभिनव ज्यादा पहनता था ,,मै वही कुरता पहने आज दफ्तर गया था,,,भइया वो तो समझाने ही लगे,,,देखिये आप को डर नही लगता तो क्या हुआ , आप पूरे दफ्तर को मौत के मुह में नही धकेल सकते ,,भगवान के लिए कम से कम विवाद ठंडा पड़ जाये तब पहनियेगा......
अजीब उलझन है ...आप इतना डर क्यों रहे हैं..भगवान के लिए ये डर अपने मन से निकाल दीजिये,,,कुछ नही होगा औउर होगा तो सिर्फ आप नही सभी को भुगतना है...आप जैसे लोग न कुछ नही भी होगा तो करवा डालेंगे...अरे जब आप इतना डरेंगे तो जो डराकर आप को और उन भाइयों को जिन्हें आप मुस्लिम कह कर कन्नी कट कर रहे है रखना चाहता है उसके तो हौसले और बुलंद होंगे...आप क्या चाहते है अलगाववादी ताकतें देश को नोचती खसोटती रहें,,,,,मैंने भी लम्बा चौड़ा सुनाया उन्हें और अपने काम में जुट गया........
शाम के समय अपने मकान मालिक के लड़के के साथ शहर का रवैया देखने अभी कुछ घंटे पहले ही गया था...व्यापारी,ठेले वाले ,,,छोटी छोटी दुकान और यहाँ तक की ज्यादातर मुस्लिम नाऊ अपने गांव लौट गये हैं सभी अब विवाद के बाद आने वाले है,,,
चौराहों,गलियों में ९ बजे ही सन्नाटा पसरा है,,गली गली पोलिसे घूम रही हैं....एक पार्क है सटे. अक्सर वहां जोड़े अँधेरे में ही आते है आजकल वे अपना काम शायद उजाले में ही निपटाना बेहतर समझ रहे हैं,भले ही देखने वाले कुछ भी समझे मौत से तो बेहतर है....
ये डर सिर्फ राजधानी में नही है,,गाँव से माँ का फरमान आ गया है अपने काम से मतलब रखना,,,जो कोई जो कहे हाँ में हाँ मिलाना...मै भी आज्ञाकारी हूँ .... खुद में खोया हूँ...पत्रकार नही होता तो इत्ती भी चर्चा नही करता जैसे मेरा भतीजा जो इंजिनियर है नही करता....क्यों करे उसका फंडा साफ है...
मुझसे सवाल करता है..हाँ आप बताइए जब बाबरी गिरी खून खराबे हुए तो मै ५ या ६ का था,, कुछ नही जनता उसके बारे में,,,,शांति से पैदा हुआ पढ़ा और आज मस्त जॉब कर रहा हूँ...मुझे ऐसे फैसले और इतिहास की जरुरत नही मुझे तरक्की चाहिए,,,क्या न्यायपालिका मेरे तरक्की के मामले में कोई फैसला देगी,,,मेरे दोस्त जो अभी बेरोजगार घूम रहे हैं क्या उन्हें रोजगार देने का फरमान जारी कर रही है..अगर नही तो मुझे कोई मतलब नही है ऐसे फैसलों से न तो राम न अल्लाह हमउम्र भाई बहनों के लिए कुछ करने वाले हैं....भगवान के लिए देना ही है तो हमे एक अमनपरस्त देश दो..खुशहाली दो..पर पता है ये हमे कोई नही देगा...और हाँ ये हादसा जिन लोगो के समय हुआ था वो आज करीब ४० पार कर चुके है,,उन्हें भी अब अपने परिवार को देखना है बेटे बेटियों की परवाह करनी है न की अल्लाह और राम के इस झमेले में कुछ मिलने वाला है ...और हाँ मै फैसले वाले दिन बार में जा रहा हूँ अंगूर की बेटी से इश्क लड़ाने आप भी जाइएगा सुना है अक्सर तनाव में वह बहुत राहत देती है.....मै उससे एक साल बड़ा हूँ बस ,,सोच रहा था की देश का हर नवजवान यही चाहता है अमन ,शांति,,तो फिर ये जलाने जैसी चीजे बीच में क्यूँ घुसेदी जाती हैं ,,,सच इन फैसलों से आखिर किसका भला होने वाला है हाँ उनका जरुर होगा जो अपनी राजनीती चमकाना चाहते है,,,पर देश के उस बड़े तबके का क्या जो मेरे भतीजे सरीखी सोच रखती है..उसके लिए तो य्ह्छालावा है सरासर अन्याय ,,,खैर जब तक देश में आन्दोल्नरुपी क्रांति की विसात नही खड़ी होती तब तक इन फैसलों के नाम पर हम बटते रहेंगे डरते रहेंगे,,मरते रहेंगे जिस दिन वो उबल हर दिल में आ गया कुछ मुठी बर लोगों की नही चलेगी ...तब वही होगा की फैसले के एक दिन पहले सभी भतीजे मधुशाला में अंगूर की बेटी से इश्क लड़ते नजर आयेंगे ..काश राम और अल्लाह एक साथ बनते और साथ में ढेर साडी अंगूर की बेटियाँ,,,,,,,,,,एक दिन तो सपना पूरा होगा ही क्यूँ न मै भी चलूं किसी मधुशाला,,,आप भी जाइये सुना है तनाव में वहां सुकून मिलता है,,,,,,,
अजीब उलझन है ...आप इतना डर क्यों रहे हैं..भगवान के लिए ये डर अपने मन से निकाल दीजिये,,,कुछ नही होगा औउर होगा तो सिर्फ आप नही सभी को भुगतना है...आप जैसे लोग न कुछ नही भी होगा तो करवा डालेंगे...अरे जब आप इतना डरेंगे तो जो डराकर आप को और उन भाइयों को जिन्हें आप मुस्लिम कह कर कन्नी कट कर रहे है रखना चाहता है उसके तो हौसले और बुलंद होंगे...आप क्या चाहते है अलगाववादी ताकतें देश को नोचती खसोटती रहें,,,,,मैंने भी लम्बा चौड़ा सुनाया उन्हें और अपने काम में जुट गया........
शाम के समय अपने मकान मालिक के लड़के के साथ शहर का रवैया देखने अभी कुछ घंटे पहले ही गया था...व्यापारी,ठेले वाले ,,,छोटी छोटी दुकान और यहाँ तक की ज्यादातर मुस्लिम नाऊ अपने गांव लौट गये हैं सभी अब विवाद के बाद आने वाले है,,,
चौराहों,गलियों में ९ बजे ही सन्नाटा पसरा है,,गली गली पोलिसे घूम रही हैं....एक पार्क है सटे. अक्सर वहां जोड़े अँधेरे में ही आते है आजकल वे अपना काम शायद उजाले में ही निपटाना बेहतर समझ रहे हैं,भले ही देखने वाले कुछ भी समझे मौत से तो बेहतर है....
ये डर सिर्फ राजधानी में नही है,,गाँव से माँ का फरमान आ गया है अपने काम से मतलब रखना,,,जो कोई जो कहे हाँ में हाँ मिलाना...मै भी आज्ञाकारी हूँ .... खुद में खोया हूँ...पत्रकार नही होता तो इत्ती भी चर्चा नही करता जैसे मेरा भतीजा जो इंजिनियर है नही करता....क्यों करे उसका फंडा साफ है...
मुझसे सवाल करता है..हाँ आप बताइए जब बाबरी गिरी खून खराबे हुए तो मै ५ या ६ का था,, कुछ नही जनता उसके बारे में,,,,शांति से पैदा हुआ पढ़ा और आज मस्त जॉब कर रहा हूँ...मुझे ऐसे फैसले और इतिहास की जरुरत नही मुझे तरक्की चाहिए,,,क्या न्यायपालिका मेरे तरक्की के मामले में कोई फैसला देगी,,,मेरे दोस्त जो अभी बेरोजगार घूम रहे हैं क्या उन्हें रोजगार देने का फरमान जारी कर रही है..अगर नही तो मुझे कोई मतलब नही है ऐसे फैसलों से न तो राम न अल्लाह हमउम्र भाई बहनों के लिए कुछ करने वाले हैं....भगवान के लिए देना ही है तो हमे एक अमनपरस्त देश दो..खुशहाली दो..पर पता है ये हमे कोई नही देगा...और हाँ ये हादसा जिन लोगो के समय हुआ था वो आज करीब ४० पार कर चुके है,,उन्हें भी अब अपने परिवार को देखना है बेटे बेटियों की परवाह करनी है न की अल्लाह और राम के इस झमेले में कुछ मिलने वाला है ...और हाँ मै फैसले वाले दिन बार में जा रहा हूँ अंगूर की बेटी से इश्क लड़ाने आप भी जाइएगा सुना है अक्सर तनाव में वह बहुत राहत देती है.....मै उससे एक साल बड़ा हूँ बस ,,सोच रहा था की देश का हर नवजवान यही चाहता है अमन ,शांति,,तो फिर ये जलाने जैसी चीजे बीच में क्यूँ घुसेदी जाती हैं ,,,सच इन फैसलों से आखिर किसका भला होने वाला है हाँ उनका जरुर होगा जो अपनी राजनीती चमकाना चाहते है,,,पर देश के उस बड़े तबके का क्या जो मेरे भतीजे सरीखी सोच रखती है..उसके लिए तो य्ह्छालावा है सरासर अन्याय ,,,खैर जब तक देश में आन्दोल्नरुपी क्रांति की विसात नही खड़ी होती तब तक इन फैसलों के नाम पर हम बटते रहेंगे डरते रहेंगे,,मरते रहेंगे जिस दिन वो उबल हर दिल में आ गया कुछ मुठी बर लोगों की नही चलेगी ...तब वही होगा की फैसले के एक दिन पहले सभी भतीजे मधुशाला में अंगूर की बेटी से इश्क लड़ते नजर आयेंगे ..काश राम और अल्लाह एक साथ बनते और साथ में ढेर साडी अंगूर की बेटियाँ,,,,,,,,,,एक दिन तो सपना पूरा होगा ही क्यूँ न मै भी चलूं किसी मधुशाला,,,आप भी जाइये सुना है तनाव में वहां सुकून मिलता है,,,,,,,