Wednesday, September 29, 2010

शायद ऐसे ही पूरी होगी खूबसूरत भविष्य की कल्पना......





सड़कों पे दूर तक सन्नाटा पसरा है
सुना कोई फैसला आने वाला है,
माँ कहती है फैसले हमेशा उसी के हित में आते हैं जो सच्चा है,
वो यह भी कहती है की जहाँ सच है वहां भय नही होता ,
जब सचाई की जीत होने जा रही तो भय क्यूँ,ये सन्नाटा क्यूँ,,
तो क्या बुराई की जीत होने वाली है,,
पर राम और अल्लाह में बुरा कौन है,
माँ तो कहती है की दोनों एक हैं,,
गर दोनों एक हैं तो फिर कैसी जीत, कैसी हार
फैसला जो हो ख़ुशी-ख़ुशी होना चाहिए स्वीकार ,,
अगर ऐसा नही हो रहा,
कुछ बेचैनी है,
दिलों में अब भी डर है,
तो जरुर कुछ तो गड़बड़ है,
हमे खंगालना होगा अपने अंतर्मन को,
गहरे झांक के देखना होगा अपने दिल में ,,
हर दिल में समाधान है,,
यही लिखेगा एक सुनहरे कल की इबादत
यहीं से पूरी होगी एक खुबसूरत भविष्य की कल्पना,,,
तो छोडो डरना,
क्यूंकि सबकुछ तुम्हे ही है करना,,
तुम ही डर गये तो फिर इतिहास खुद को दुहरायेगा,,,
बरसों बाद कोसोगे खुद को,
सोचोगे काश नही डरा होता उस वक़्त
मत दो खुद को मौका पछताने का,,
रहो समाज के बीच ,
मत भागो ,सबके बीच रहकर फैसले का सम्मान करो ,,
कल तुम्हारा है.....................एक ख़ूबसूरत कल, जिसकी तुम्हे तलाश है ,,
साहस करके देखो ,दूर छितिज पर कल का वो सूरज निकल रहा है,,,डर का साया हट रहा है,,
राम और अल्लाह हम सबका भला करें...............................

2 comments:

गजेन्द्र सिंह said...

बहुत खूबसूरती के साथ शब्दों को पिरोया है इन पंक्तिया में आपने .......

पढ़िए और मुस्कुराइए :-
कहानी मुल्ला नसीरुद्दीन की ...87

संजय भास्‍कर said...

ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.