Tuesday, April 6, 2010

यहाँ चाय वाला चाय नही देता


यहाँ चाय वाला चाय नही देता .किरण हंसने को मजबूर करती है .शिशिर के साथ रहने जा रहा हूँ .दो और सहकर्मी हैं जाने किस मिटटी के बने हुए । उनसे कभी बनती नही .यहाँ कोई कंटीन नही है .पर मुझे कोई फर्क नही पड़ता क्यूंकि मेरा पेट खराब है .वैसे भी मै बहुत कम खाता हूँ पर किरण का क्या होगा ?वो तो बहुत खाती है।

शिशिर भी कैंटीन को लेकर परेशान है .पर वह अडजस्ट करना जानता है या फिर मजबूरी में सिख गया है ...

ईसके बावजूद हम सभी खुश हैं क्युकी हमारे सम्पादक बहुत अछे है ..उनके साथ कम करने में खूब मजा आ रहा है ...दरअसल वे चाहते हैं कि हम कुछ हटकर और नया करें इसका मतलब यह नही है कि हम पत्रकारिता छोडकर कुछ और करने लगें बल्कि इसका मतलब है कि हम आज कि पत्रकारिता से इतर नये जमाने कि पत्रकारिता कि तरफ रुख करें । कुछ नयापन लाये ,कुछ प्रयोग करें .....

बहुत ख़ुशी मिलती है जब आप अपनी शुरुआत अपने मनपसन्द माहौल में करते हैं जहाँ कोई बंदिश नही , जहाँ हर कोई मित्र कि तरह मिले और आगे बढकेअपनाये ..जहाँ हमे अपनी बात रखने का मौका हों ..अपना मनपसन्द कम करने कि छूट हों .....

बस इसीलिए कंटीन न होने के बावजूद हम खुश है ... क्युकी कई बार माहौल ऐसा भरा पूरा होता कि पेट का खालीपन अपना अहसास नही कराता .....हाँ कभी जोरों कि भूख लगती है तो थोडा दूर निकल पड़ते है ...उसका भी अपना अलग मजा है ....

पता है शिशिर बहुत बदल; गया है ...अरे वैसा बदलना नही अब वह समझदार है और हम एक साथ है ...कई बार हमारा साथ दूसरों खलता है पर हम आई आई एम् सी वाले हर माहौल में जीना और रहना जानते है ....

हम उसी तरह पोलिटिक्स भी कर सकतें हैं जैसा सामने वाला करेगा और वैसी ही दोस्ती या फिर दुश्मनी .....

मै प्रेमी हूँ और जल्द ही यहाँ भी प्रेम के रंग बिखेर दूंगा ये मेरा दावा और वादा दोनों है ..शुरुआत कर दी है लोगों के दिलों में उतरने कि ...............................आप के दिल में तो बसा ही हूँगा उम्मीद है

मै लक्ष्मी कैमरा पर्सन शिशिर और किरण के साथ ..लखनौ से