Friday, March 19, 2010

आंखों की उदास बेचैनी और उसकी अंदरूनी आक्रामकता का धनी कलाकार: अजय देवगन













मेरे दोस्तों को मेरा जुमला अजय देवगन की कसम या अजय देवगन ने चाहा तो ,से चिढ़ मचती है। दरअसल उन्हें शिकायत है कि आमिर और शाहरूख के जमाने में भला कोई अजय जैसे छोटे नाम वाले , एक्टर को तवज्जो कैसे दे सकता है. सलमान या अक्षय की बात करता तो भी एक हद तक सही था। पर अजय यह तो हद ही हो गई।
आखिर मैं बार-बार उसका नाम लेकर साबित क्या करना चाहता हूं कि मैं औरों से हटकर सोचता हूं या फिर बात इतनी है कि मुझे बस उनकी एक नहीं सुननी है। ये सभी शिकायते हैं मेरे दोस्तों की मुझसे पर ऐसा नही है कि मैं इनकी शिकायतों पर निरूत्तर हूं पर मैं जबाब कुछ यूं देना चाहता था कि फिर इन्हे कम से मुझसे कोई शिकायत न रह जाए। इसलिए मैने अजय के बारे में मन से अध्ययन किया और अब मैं उसके बारे में कुछ लिखने में सक्षम हूं।

सुना था आंखों से हो रहे संवाद का अहसास गहरे दिल में उतरता चला जाता है। अजय की एक्टिंग देखने के बाद इस अहसास को जीता चला गया। सच ,अजय नहीं बोलते उनकी आंखे बोलती हैं। बगैर शोरगुल और मीडिया हाइप के यह महान कलाकार अपना काम करते जा रहा है और आप को यह जानकर हैरानी होगी कि खान स्टारों के इस तथाकथित दौर में सबसे अधिक काम और विश्वास का पात्र अजय है।
एक्शन डायरेक्टर वीरू देवगन का यह लाडला एक्शन के साथ ही फिल्मों में प्रवेश किया यह किसी संयोग से कम नहीं। फूल और कांटे का वह ढ़ीला-ढीला, औसत चेहरे का एक अनोखे हेयर स्टाइल का एक्शन हीरो अतिथि तुम कब जाओगे तक पहुंचते-पहुंचते फिल्म के हर विभाग (कामेडी,एक्शन,थ्रीलर,पारिवारिक,ट्रेजडी) का बेताज बदशाह बन जाएगा कम ही लोगों ने सोचा होगा। पर जिसने इसे भांप लिया था उसने इसका सही उपयोग किया और इसका फायदा अजय के साथ उसे भी मिला । इस कड़ी में सबसे पहला नाम महेश भट्ट का है।
अजय की आंखों की उदास बेचैनी, अंदरूनी आक्रामकता को महेश ने अपनी फिल्म जख्म में बखूबी उभारा है। जख्म अजय के फिल्मी करियर का सबसे अहम पड़ाव था। इस फिल्म के बाद अजय कभी पीछे मुड़कर नहीं देखे या यूं कहें कि देखने की नौबत भी नहीं आई।
हम दिल दे चुके सनम और प्यार तो होना ही था ने उनके करियर को नई उंचाई दी तो यहीं से उन्हे उनका प्यार भी मिला । काजोल तो मिली हीं देश के हर कोने का प्यार भी खूब बरसा। प्यार ने अपना असर दिखाना शुरू किया और देखते ही देखते संभावनाओं का यह सितारा अपनी रोशनी बिखेरने लगा।
यह सच है कि अजय के पास शाहरुख-आमिर सरीखी फैन-फालोइंग नहीं है। यह भी सच है कि अजय उनकी तरह ग्लैमराइज नहीं हैं। पर हम यह क्यूं भूल जाते हैं कि अजय की यही खासियत उनहें सबसे अलग और सब पर भारी बनाती है। पर अजय यहां भी अजय ही दिखते हैं जब वे इसके जवाब में सिर्फ इतना कहते हैं कि ,प्लीज मेरी किसी से तुलना मत कीजिए। मेरा कंपटीशन खुद से है। फिर सबके अलग फील्ड हैं ,अलग काम है ऐसे मे तुलना करना उचित नहीं। यह अजय की सादगी है। अजय अपनी इस सादगी के साथ खुश हैं।
बिना किसी संवाद के कयामत सरीखी एक्शन फिल्म के साथ कई फिल्मों को सिर्फ अपनी आंखों के कमाल से सफल बना देने वाला यह सादगी पसंद कलाकार अपनी जिन्दगी को भी खामोशी से आगे बढ़ाता जा रहा है जहां सिर्फ और सिर्फ उंचाइयां हैं।
जिन्दगी में आगे बढ़ते आंखों के जादूगर खामोश कलाकार को शत-शत नमन..............

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