सिर्फ इशारे करते रहोगे या कहोगे भी कुछ ,,
कब से इंतजार कर रही हूँ की अब बोलेगे-अब बोलोगे..पर तुम हो की बोलते ही नही,,भला ये नाराजगी किस बात के लिए है,,
अपनों से भी कोई रूठता है भला,,,
और हाँ अगर रूठता भी है तो इत्ती देर के लिए तो कभी नही,,
क्यूँ मुझे बवजह रुलाने पर तुले हो,,
जानते हो न की अगर मै रोना शुरू कर दूंगी तो जल्दी चुप नही होने वाली,,
अच्छा तो फिर मुझे मानाने मत आना,
और हाँ आज तुम्हारा चोकलेट ,तुम्हारी मीठी बातों से मै नही पिघलने वाली,,
अरे मेरी भी कोई इजत है की नही,,
हर बार मै आसानी से मान जाती हूँ
हर बार केवल तुम्ही रुठते हो,,
मुझे तो इस घर में कभी रूठने का मौका ही नही मिलता,,
आखिर मेरे भी कुछ नखरे हैं,,,
मुझे भी उन नखरों को दिखाने का हक है,,
मेरीसहेलियाँ रोजाना अपने पति के सामने नखरे परोसती है,,'
रोजाना उनसे घंटों रूठी रहती हैं,,
तब पति देव को मनाने के लिए आना पड़ता है,,
यहाँ तो उल्टा ही है,,,
हमेशा तुम्ही रूठे रहते हो,,,
भारत में शायद यह पहला घर है जहाँ पत्नी से ज्यादे पति के नखरे हैं,,,,
अब मुझसे ये सब नही हो सकेगा...बस...
उसके इतना कहते ही मेरे चेहरे पे हल्की मुस्कान बिखर गयी
और मै उससे हर गया,,
पर इस हार में भी मेरी जीत थी,,,
मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया,,,
और उसके आँखों से टपकते मोतियों को पि गया
अचानक सामने आकाश में रौशनी बिखर गयी
शायद बहुत दिनों बाद भगवान को धरती पर सच्चे प्यार का दीदार हुआ था

2 comments:
सच्चे प्यार का दीदार तो हमें भी हो गया । सुंदर लेखन ।
दीदार हुआ इस रचना के माध्यम से..उम्दा.
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