शाम के करीब ५ बज रहे थे. मै अहमदाबाद स्टेशन पर अपने जीजू के साथ पहुंचा .दरअसल मुझे आज डेल्ही लौटना था .मैं दीवाली की छुटी में दीदी के पास गया था और आज छुटियाँ खत्म हो गई थीं ।
जीजू बैग पकड़े थे और मैं उनसे बातें कर रहा था की अचानक एक चेहरे ने मुझे घूमकर देखने को मजबूर कर दिया। एक खुबसूरत सी लड़की मेरे पास से गुजर रही थी और मेरी निगाहे उसका पीछा करने लगी .जीजू जबरदस्ती मुझे आगे चार्ट के पास ले जाने लगे और मुझे उनपर गुस्स्सा आ रहा था.खैर भगवान को कोसते हुए मै जीजू के साथ आगे बढ़ गया नाम देखकर khush था की चलो टिकेट तो कन्फर्म हो गया पर दुखी था की उस खुबसूरत चेहरे को ठीक से न देख सका .अब तक ट्रेन भी आकर सामने लग चुकी थी .मैने जैसे ही ट्रेन में एंट्री करी सामने उसी लड़की को देखकर अचानक भौचक्का सा रह गया .समझ नही आ रहा था की खुदा मेरे पर ,इतना मेहरबान कैसे हो सकता है। खैर खुदा को बार बार धन्यबाद करते हुए मै अपने सिट पर बैठा .अब तो बस आंखे ही बात कर रही थीं जुबान खामोश थे .कंभी नजरे मिलती कभी झुक जाती दोनों तरफ बराबर की आग लगी थी .ये सिलसिला करीब १ घंटे तक चला .अब आँखों की बातें इशारों में बदल चुकी थीं .मैंने ही इशारों से उसका नम्बर माँगा .सोचा वो मना करेगी पर उसने इसके बजाय अपना नुम्बर देने के साथ मेरा नम्बर भी मांग लिया .हम दोनों का रोमिंग लग रहा था पर प्यार में इसके लिए कोई जगह नही .जब प्यार होता है तो बस प्यार होता है .हम दोनों रोमिंग में ही संदेश और फ़ोन के ज़रिए एक दुसरे को समझने और जानने लगे.उसकी आवाज उसके चेहरे की तरह ही मासूम और प्यारी थी .धीरे धीरे जब बैलेंस खत्म होने के कगार पर पहुँचा तो हमने अब गेट के पास मिलने की ठानी .दोनोंअपने अपने सिट से उतरकर गेट के पास पहुच गए .इस समय रत के २ बज रहे थे और डब्बे के सभी लोग सो रहे थे जगी थी तो बस दो निगाहें जो एक दुसरे में गुम हो जाना चाहती थीं .खैर हम गेट पर मिले.वो थोड़ा nrwas थी .उसके बात करने के अंदाज से ऐसा लग रहा था .मैं समझ सकता था वो एक लड़की थी और लड़कियों को मुझसे बेहतर कौन समझ सकता है .मैंने उसे पुरा वक्त दिया सहज होने का.उसे मेरा साथ अब अच्छा lagne लगा था .हमने करीब २ घंटे तक बातें की।हम गेट के पास ही ही baith गए । एक दुसरे के बाँहों में बाहें डाले हम दोनों एक दुसरे में खो से गए थे की सामने से टीटी की आवाज ने हमे अचानक दूर होने को मजबूर किया.अरे इतनी रात गए तुम यह क्या कर रहे हो जाओ अपने सिट पर सो जाओ .वो घबरा कर भागने को हुई की मैंने उसकी बांह थाम ली.वो रुक गई पर वो डर रही थी उसके कांपते पैर इस बात की गवाही दे रहे थे। मैंने टीटी को बोला की हमे नींद नही आ रही तो फालतू में क्यों सोये.वो मुझे देखे जा रही thi उसकी निगाहों को दुसरे तरफ देखते हुए भी मैं पढ़ सकता था .नींद कैसे आएगी अब तो आ भी नही sakati .कम से कम गेट बंद कर लो फिर जो जी में आए करो।टीटी इतना बोलकर चला गया.वो खुश थी ऊसके चेहरे की मुस्कान ये बात बोल रही थी.की अचानक वो udas हो गई .मुझे पता था की वो kyun udas है.उसका station जो आने wala था .
जीजू बैग पकड़े थे और मैं उनसे बातें कर रहा था की अचानक एक चेहरे ने मुझे घूमकर देखने को मजबूर कर दिया। एक खुबसूरत सी लड़की मेरे पास से गुजर रही थी और मेरी निगाहे उसका पीछा करने लगी .जीजू जबरदस्ती मुझे आगे चार्ट के पास ले जाने लगे और मुझे उनपर गुस्स्सा आ रहा था.खैर भगवान को कोसते हुए मै जीजू के साथ आगे बढ़ गया नाम देखकर khush था की चलो टिकेट तो कन्फर्म हो गया पर दुखी था की उस खुबसूरत चेहरे को ठीक से न देख सका .अब तक ट्रेन भी आकर सामने लग चुकी थी .मैने जैसे ही ट्रेन में एंट्री करी सामने उसी लड़की को देखकर अचानक भौचक्का सा रह गया .समझ नही आ रहा था की खुदा मेरे पर ,इतना मेहरबान कैसे हो सकता है। खैर खुदा को बार बार धन्यबाद करते हुए मै अपने सिट पर बैठा .अब तो बस आंखे ही बात कर रही थीं जुबान खामोश थे .कंभी नजरे मिलती कभी झुक जाती दोनों तरफ बराबर की आग लगी थी .ये सिलसिला करीब १ घंटे तक चला .अब आँखों की बातें इशारों में बदल चुकी थीं .मैंने ही इशारों से उसका नम्बर माँगा .सोचा वो मना करेगी पर उसने इसके बजाय अपना नुम्बर देने के साथ मेरा नम्बर भी मांग लिया .हम दोनों का रोमिंग लग रहा था पर प्यार में इसके लिए कोई जगह नही .जब प्यार होता है तो बस प्यार होता है .हम दोनों रोमिंग में ही संदेश और फ़ोन के ज़रिए एक दुसरे को समझने और जानने लगे.उसकी आवाज उसके चेहरे की तरह ही मासूम और प्यारी थी .धीरे धीरे जब बैलेंस खत्म होने के कगार पर पहुँचा तो हमने अब गेट के पास मिलने की ठानी .दोनोंअपने अपने सिट से उतरकर गेट के पास पहुच गए .इस समय रत के २ बज रहे थे और डब्बे के सभी लोग सो रहे थे जगी थी तो बस दो निगाहें जो एक दुसरे में गुम हो जाना चाहती थीं .खैर हम गेट पर मिले.वो थोड़ा nrwas थी .उसके बात करने के अंदाज से ऐसा लग रहा था .मैं समझ सकता था वो एक लड़की थी और लड़कियों को मुझसे बेहतर कौन समझ सकता है .मैंने उसे पुरा वक्त दिया सहज होने का.उसे मेरा साथ अब अच्छा lagne लगा था .हमने करीब २ घंटे तक बातें की।हम गेट के पास ही ही baith गए । एक दुसरे के बाँहों में बाहें डाले हम दोनों एक दुसरे में खो से गए थे की सामने से टीटी की आवाज ने हमे अचानक दूर होने को मजबूर किया.अरे इतनी रात गए तुम यह क्या कर रहे हो जाओ अपने सिट पर सो जाओ .वो घबरा कर भागने को हुई की मैंने उसकी बांह थाम ली.वो रुक गई पर वो डर रही थी उसके कांपते पैर इस बात की गवाही दे रहे थे। मैंने टीटी को बोला की हमे नींद नही आ रही तो फालतू में क्यों सोये.वो मुझे देखे जा रही thi उसकी निगाहों को दुसरे तरफ देखते हुए भी मैं पढ़ सकता था .नींद कैसे आएगी अब तो आ भी नही sakati .कम से कम गेट बंद कर लो फिर जो जी में आए करो।टीटी इतना बोलकर चला गया.वो खुश थी ऊसके चेहरे की मुस्कान ये बात बोल रही थी.की अचानक वो udas हो गई .मुझे पता था की वो kyun udas है.उसका station जो आने wala था .