जरा धीरे बोलिए कोई सुन लेगा...क्या सोचेगा वह .....
अरे सोचने दीजिये मै भला क्यूँ धीरे बोलूं.....
अब बोलने पर भी पाबंदी लगायेंगे क्या आप
देखिये जो जी में आएगा मै बोलूँगा
जैसे मन करेगा मै बोलूँगा,,,
किसी को बुरा लगता है तो लगे,,
उन नेताओं को तो आप कभी टोकने नही जाते जो जब तब गला फाड़ते रहते है
देखिये श्रीमान मुझे गाली दे दीजिये पर मेरे नेताओं को कुछ न कहियेगा
और इस तरह का गलत दोषारोपण तो बिलकुल नही चलेगा,,
गलत,,पगला गए हैं क्या आप इसमें गलत क्या है,,,
वही जो आप कह रहे है की वो तेज तेज चिलाते है...
बेचारे नेता इसी डर से तो संसद नही जाते,,
जाते भी हैं तो चुपचाप कहीं कोने में सोते रहते है,,,
मिडिया से जितना हो सके दूर रहने की कोशिश करते है,,,
बेचारे चिलाना छोडकर अब कुर्सी और मेज चलाने लगे हैं
और आप हैं की अभी तक उनके चिलाने को लेकर अड़े है,,,
अरे छोडिये जी मैंने देखा है कैसे बेचारे अपनी राजनीती चमकने के लिए भूख हड़ताल करते है
कोई कोई तो मौन व्रत रखता है...
क्या ऐसे में कोई चिला सकता है,,,
चिल्लाना न पड़े इसी डर से तो बेचारे अपना सारा पैसा विदेशों में रखते है,,
बात कर रहे हैं आप,,
आप ही बताइए जितने के बाद कितनी बार आते हैं वे आपसे मिलने,,
पांचवे साल है न,यानि अगले चुनाव के लिए क्यूँ ताकि बीच में उन्हें आपके साथ चिलाना न पड़े
अब दिमाग चला की कुछ और बताएं॥
नही भैया रहने दो मान गया ...
गलती हो गयी ,,,
चलिए कम से कम एक नालायक तो माना की अपने नेता महान है,,,,