Friday, October 8, 2010

मेरे दिल में ख़ूबसूरत सी एक हया है......

बोलने की जरुरत क्या है,,
जब इशारों में सब कुछ बयाँ है,,

करने को तो हम भी कर गुजरते वो सब,
पर मेरे दिल में एक खुबसूरत सी हया है ...

जिनके दिल नफरतो से भरे हैं उनसे कहो,
प्यार अपनाये,,सच उनके लिए ये सबसे अच्छी दवा है।

खाक बिगाड़ पाओगे तुम उसका,,
तुम्हे नही मालूम,,उस पर रब की दया है,,,

चलो अब चल के सुलह कर लो॥
तुम एक हो तभी ये दुनिया है,,,




Thursday, October 7, 2010

देखिये श्रीमान मुझे गाली दीजिये पर मेरे नेताओ को कुछ न कहियेगा

जरा धीरे बोलिए कोई सुन लेगा...क्या सोचेगा वह .....
अरे सोचने दीजिये मै भला क्यूँ धीरे बोलूं.....
अब बोलने पर भी पाबंदी लगायेंगे क्या आप
देखिये जो जी में आएगा मै बोलूँगा
जैसे मन करेगा मै बोलूँगा,,,
किसी को बुरा लगता है तो लगे,,
उन नेताओं को तो आप कभी टोकने नही जाते जो जब तब गला फाड़ते रहते है
देखिये श्रीमान मुझे गाली दे दीजिये पर मेरे नेताओं को कुछ न कहियेगा
और इस तरह का गलत दोषारोपण तो बिलकुल नही चलेगा,,
गलत,,पगला गए हैं क्या आप इसमें गलत क्या है,,,
वही जो आप कह रहे है की वो तेज तेज चिलाते है...
बेचारे नेता इसी डर से तो संसद नही जाते,,
जाते भी हैं तो चुपचाप कहीं कोने में सोते रहते है,,,
मिडिया से जितना हो सके दूर रहने की कोशिश करते है,,,
बेचारे चिलाना छोडकर अब कुर्सी और मेज चलाने लगे हैं
और आप हैं की अभी तक उनके चिलाने को लेकर अड़े है,,,
अरे छोडिये जी मैंने देखा है कैसे बेचारे अपनी राजनीती चमकने के लिए भूख हड़ताल करते है
कोई कोई तो मौन व्रत रखता है...
क्या ऐसे में कोई चिला सकता है,,,
चिल्लाना न पड़े इसी डर से तो बेचारे अपना सारा पैसा विदेशों में रखते है,,
बात कर रहे हैं आप,,
आप ही बताइए जितने के बाद कितनी बार आते हैं वे आपसे मिलने,,
पांचवे साल है न,यानि अगले चुनाव के लिए क्यूँ ताकि बीच में उन्हें आपके साथ चिलाना न पड़े
अब दिमाग चला की कुछ और बताएं॥
नही भैया रहने दो मान गया ...
गलती हो गयी ,,,
चलिए कम से कम एक नालायक तो माना की अपने नेता महान है,,,,

Wednesday, October 6, 2010

शायद बहुत दिनों बाद भगवान को धरती पर सच्चे प्यार का दीदार हुआ था





सिर्फ इशारे करते रहोगे या कहोगे भी कुछ ,,
कब से इंतजार कर रही हूँ की अब बोलेगे-अब बोलोगे..पर तुम हो की बोलते ही नही,,
भला ये नाराजगी किस बात के लिए है,,
अपनों से भी कोई रूठता है भला,,,
और हाँ अगर रूठता भी है तो इत्ती देर के लिए तो कभी नही,,
क्यूँ मुझे बवजह रुलाने पर तुले हो,,
जानते हो न की अगर मै रोना शुरू कर दूंगी तो जल्दी चुप नही होने वाली,,
अच्छा तो फिर मुझे मानाने मत आना,
और हाँ आज तुम्हारा चोकलेट ,तुम्हारी मीठी बातों से मै नही पिघलने वाली,,
अरे मेरी भी कोई इजत है की नही,,
हर बार मै आसानी से मान जाती हूँ
हर बार केवल तुम्ही रुठते हो,,
मुझे तो इस घर में कभी रूठने का मौका ही नही मिलता,,
आखिर मेरे भी कुछ नखरे हैं,,,
मुझे भी उन नखरों को दिखाने का हक है,,
मेरीसहेलियाँ रोजाना अपने पति के सामने नखरे परोसती है,,'
रोजाना उनसे घंटों रूठी रहती हैं,,
तब पति देव को मनाने के लिए आना पड़ता है,,
यहाँ तो उल्टा ही है,,,
हमेशा तुम्ही रूठे रहते हो,,,
भारत में शायद यह पहला घर है जहाँ पत्नी से ज्यादे पति के नखरे हैं,,,,
अब मुझसे ये सब नही हो सकेगा...बस...
उसके इतना कहते ही मेरे चेहरे पे हल्की मुस्कान बिखर गयी
और मै उससे हर गया,,
पर इस हार में भी मेरी जीत थी,,,
मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया,,,
और उसके आँखों से टपकते मोतियों को पि गया
अचानक सामने आकाश में रौशनी बिखर गयी
शायद बहुत दिनों बाद भगवान को धरती पर सच्चे प्यार का दीदार हुआ था

Monday, October 4, 2010

हाँ मशीन भी दिलफेंक होते हैं और यह गुनाह नही

वह एक मशीन है.उसे प्यार हो जाता है..लेकिन उसे प्यार उसी लड़की से हो जाता है जो उसके मालिक की महबूबा है.मालिक यानि जिसने उस मशीन को बनाया है...जब मालिक को पता चलता है की उसका बनाया मशीन उसी की महबूबा को चाहने लगा है तो उसे अपने मशीन से जलन होने लगती है...हालाँकि उसकी महबूबा उस मशीन से प्यार नही करती..वह उसे समझती है की वह एक औरत है और उससे प्रेम का हक सिर्फ पुरुष को है...मशीन उससे प्यार करे यह प्रकृति के खिलाफ है...लडकी मशीन से आग्रह करती है की वह उसे भूल जाये साथ में वह यह भी कहती है की तुम्हारे लिए भूलना आसान है क्यूंकि तुम एक मशीन हो...मशीन कोई प्रतिकार नही करता अपने प्यार का सम्मान करते हुए सर लटकाए वहां से लौट जाता है....
उसकी सादगी,उसका त्याग बहुत कुछ सोचने को मजबूर करता है...क्या कोई इतनी मोहब्बत करता है आज के जमाने में....या अगर माना कोई भूल से प्यार कर भी बैठे तो क्या महबूबा के यह कहने पर की तुम मुझे भूल जाओ तुम ऐसा कर सकते हो,बिना प्रतिकार,बिना कुछ कहे कोई प्रेमी लौट सकता है...मुझे तो नही लगता...तो क्या अब प्यार भी हमे मशीनों से सीखनी होगी..पर इसे बनाने वाले तो हम खुद हैं ,,,फिर...कहीं तो कुछ गडबड है ,,.......
मशीन एक रोबोट है...उससे कई गलतियाँ ऐसी होती हैं जो मानवजाति के लिए विनाशकारी हैं..हालाँकि यह एक लालची वैज्ञानिक की करामत है...अदालत आदेश देती है की इस रोबोट को तोड़ दिया जाये,,फ़िलहाल इसकी जरुरत नही...रोबोट का मालिक उसके सामने है,,बगल में ही उसकी महबूबा भी खड़ी है...कई और लोग हैं...सबकी आँखे नम हैं....अंतिम विदाई लेते हुए रोबोट अपने मालिक से कहता है की माफ़ करना तुम मेरे मालिक हो और मै तुमसे ही गद्दारी कर बैठा,,मैंने नियम तोडा है....मालिक बोलता है नही..गलती तुम्हारी नही है....यह नियम तोडना आखिर तुमने हम मनुष्यों से ही तो सिखा है........
रोबोट के ज्ञान के परिक्षण के लिए उसे सबके सामने पेश किया जाता है...सभी उससे तरह तरह का सवाल करते है...एक सवाल आता है..तुम्हे क्या लगता है भगवान होता है,,,रोबोट पूछता है...भगवान मतलब क्या...
पूछने वाला कहता है मतलब जिसने हम सबको बनाया होगा....रोबोट मुस्कराकर वैज्ञानिक की तरफ इशारा करके जवाब देता है....मुझे तो इन्होने बनाया है,,,अगर ये हैं,,,,तो हाँ भगवान होता है...................
सच इस मशीन रोबोट से एक सफल मनुष्य होने के कई गुर सिख सकते हैं...या यूँ कहें की हम जितना सब कुछ मेहनत करके मशीनों में फीड के रहे हैं उसका कुछ हिस्सा खुद के पास रख लें तो कितना अच्छा हो.....
इस उम्मीद में की हमारा कल हमारे बनाये किसी मशीन से बेहतर होगा..दीजिये इजाजत ,,प्रेमी को...




Saturday, October 2, 2010

हमे तरक्की चाहिए आस्था और जमीन का बंटवारा नही




अयोध्या विवाद में फैसला आ चूका है...मेरे विचार से कोर्ट ने अपने तरफ से बहुत सोच समझ कर निर्णय दिया है फिर भी अगर आपति कोई है तो सबसे बड़े न्यायलय का दरवाजा अभी खुला है....मसला यह नही है...मसला तो इससे अलग और कहीं इससे भयावह है....
फैसले से पहले जिस तरह के हालत बनाये जा रहे थे उससे पूरे यूपी समेत देश भर में आग लगनी थी....कम से कम यूपी तो जलना ही था....हिन्दू मुस्लिम के बीच खटास तो पैदा ही होनी थी....अरे मियां ऐसा क्या हुआ, कुछ नही हुआ ...एक पथर तक नही चला ..बस यही बात नागवार गुजरी है उन नामर्दों को जो एक बार फिर आग लगाना चाहते थे ईस देश में...धू-धू कर जलते देखना चाहते थे इस देश को....९२ में ये इसी की आड़ में अपनी राजनीती चमका चुके हैं,,,आज राजनीती अवसान पे देख फिर से आग लगाना चाहते है..मुस्लिम भाइयों को बरगलाया जा रहा है की उनके साथ धोखा हुआ है,,,अन्याय हुआ है...उन्हें उनका हक मिलना चाहिए था...पर उनकी बात कोई नही सुन रहा तो उनके सिने पे सांप लोट रहा है...
ये नामर्द भूल गये हैं की ये ९२ नही है ...भारत २०१० के आगे जा रहा है....माना की ९२ में हम तथाकथित धर्म के ठेकेदारों की बहकावे में आ गये थे ,,माना की तब हमने वो किया था जो गलत था , हर लिहाज से....माना की तब हम मुर्ख बन गये थे...हमे अपने गलती का एहसास है और पछतावा भी..पर हम इतने बड़े मुर्ख भी नही है की एक ही गलती बार बार करें....
आज हम ऐसे जगह खड़े है जहाँ से हम दुनिया से टकराने का सपना देखते हैं....हमे नही अपनों से टकराना ....हमे तरक्की चाहिए,,जमीन और आस्था का बटवारा नही.....जमीन फांककर इस पेट की भूक नही मिटनी है अन्न चाहिए...आस्था भी भूखे पेट नही होती...धर्म के नाम पर हमे बाँटकर अपनी रोटियां सीकने वालों गुजारिश है की उस रोटी को अब कचा ही खाना सिख लो क्यूंकि अब तुम्हारी उस रोटी को पकाने के लिए हम आंच नही बनने वाले......t
बहुत बड़े हमारे हितैषी बनते हो न तो दो हमे रोजगार,,रोटी,कपड़ा,मकान..पानी,बिजली,,स्वाश्थ्य,,,,क्यूँ चुप क्यों हो इसलिए की अब हम लड़ नही रहे या इसलिए की हमने अब अपने हक की बात करनी शुरू कर दी है....दो हमे भी सत्ता में हिस्सेदारी...क्या दे पाओगे,,,अरे तुम क्या दोगे हम खुद वहां भी अपने लिए रास्ता बना लेंगे तुम अब बस तमाशा देखो..देखो हमारी तरक्की,,हमरा मिलन...एक एक करके तुम सभी को हम किनारे लगायेंगे...नया नेतृत्व लायेंगे....देश की रफ्तार और हमारे विकास से डर लग रहा है तुहे जो तुम हमारी धारा मोड़ना चाहते हो चेत जाओ...शायद तुम्हे जनता की हुंकार का अंदाजा नही......पर जल्द हो जायेगा ..समेट लो अपनी थोथी मानसिकता...वरना पछताना पड़ेगा,,,,साथ बने रहना चाहते हो तो बात करो अमन की,तरक्की की,भाईचारे की,,,न की बटवारे की....
और अंत में....
खाली करो सिंघासन की अब जनता आती है,,,,,