एक सच दबाये बैठा हूँ
खुश हूँ की कुछ तो छुपाये बैठा हूँ
सुना है उन्हें दुसरो के गम में ख़ुशी मिलती है
उनकी ख़ुशी की खातिर खुद को रुलाये बैठा हूँ
कभी तो नशीब-ये-दीदार होगा उनका
इस इंतजार में पलके बिछाए बैठा हूँ
मेरी अहमियत तो सिर्फ उनके प्यार में छुपी है
अपनी नजरो में उनको बसाये बैठा हूँ