
आज बहुद दिन बात उससे मेरी बात हुई .बिल्कुल नही बदला था उसका अंदाज.वही बात-बात में झगड़ना ,रूठना फ़िर मानना .मैं भी तो यही चाहता था की न बदली हों aaखीर वो मेरे सपनो की रानी जो थी। पर आज वो मेरे साथ नही पर उसकी यादें मेरे साथ हैं
एक जीवित पत्रकार ,कहने को तो इस प्रेमी दिल में बहुत कुछ है,पर शब्दों की सीमा बार-बार कलम रोक देती है